प्रकृति और जीवन

प्रकृति और जीवन – हिंदी कविता 


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प्रकृति की सुंदरता का तो हर कोई दिवाना है
पहाड़ों की संवेदनशीलता
झरने की निरंतरता

बादलों की चादर
पानी से भरी वो गागर

चांदनी सी वो रात
तारो की चमचमाती बारात

निस्चल अविरल कोमल चंचल
पल में जो ये हैं आग का गोला
तो पल में सौंधी सी खुशबू वाली हवाओं का मेला

यह प्रकृति ही तो है जो हममे रोज़ नयी साँसे भर्ती है
हम इसकी अपेक्षा करे न करे पर यह हमारे साथ चलती है

बंद कमरों से निकल कर देखो ज़रा ए दोस्त
बहार के नज़ारे आपको जीवन की उलझनों से दो पल दूर ले जाएंगे
खुली हवा में साँसे लेने का मज़ा ही कुछ और हैं

ऊपर खुली आँखों से देखो तो उमीदों से भरा आसमान नज़र आता हैं
पहाड़ों को देखो तो हौसला मिलता हैं
पेड़ पौधों की हरयाली जीवन में बहार ले आती हैं
फूलो की खुशबू चेहरे पर मुस्कान बरसाती हैं

इतना सब तो हैं आस पिरोने को
कुछ पल अपनी सांसो को भी तो दें ताज़गी में खुदको भिगोने को

जो सबसे अनमोल हैं पर फिर भी उसका न कोई मोल हैं..
मुफ्त में मिली हुई चीज़ो का वैसे भी कहा कोई तौल हैं

बड़ी ही भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी हैं
थोड़ी मन की शांति और अपनी सेहत के लिए
कुछ वक़्त गुज़ारिए ज़रा प्रकृति के साथ

ये भी पढ़े – क्या है मिथ्या

प्रियंका

17 thoughts on “प्रकृति और जीवन

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