नहीं अब बुरा नहीं लगता

अब बुरा नहीं लगता जब कोई मुझे किनारे कर देता है
अब बुरा नहीं लगता जब मेरे अपने मुझे बेगाना कर देते है
अब बुरा नहीं लगता जब आंकता है कोई मुझे
जब कोई मुझे कामयाबी के तराज़ू में तोलता है

अब बुरा नहीं लगता जब कोई साथ छोड़ देता है
बिच रास्ते में चलते हुए जब कोई मेरा हाथ छोड़ देता है
नहीं अब मुझे बुरा नहीं लगता
जब कोई मुझे देख कर अनदेखा कर देता है
या मुझे आता देख अपन रुख मोड़ लेता है

नहीं अब मुझे बुरा नहीं लगता
क्युकी कुछ वक़्त बाद सुन्न पड जाती है
ये नसे सारी और बंद होजाते है ख्वाहिशो के दरवाज़े
जो खिला करते थे गुल कभी वो मुरझा जाते है कभी न खिल पाने को
बीत जाती है बातें कई कभी न दुबारा हो पाने को
गुज़र जाते है लोग जो कभी मुस्कुरा कर दिल चुराया करते थे

नहीं अब मुझे बुरा नहीं लगता
ज़िन्दगी का सबब सिख लिया है

— प्रियंका©

27 thoughts on “नहीं अब बुरा नहीं लगता

  1. बहुत अच्छी भावाभिव्यक्ति है आपकी । यूँ लगा जैसे मेरे अपने ही हृदय से फूटते स्वर की प्रतिध्वनि हो । सच ही है, दर्द जब हद से गुज़र जाता है तो अपनी दवा आप बन जाता है । फूल तो दो दिन बहार-ए-जाँ-फ़ज़ा दिखला गए, हसरत उन ग़ुंचों पे है जो बिन खिले मुरझा गए ।

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