सोशल मीडिया तमाशा – हिंदी कविता

सुनो सुनो ओ दुनियाँ वालों यह सोशल मीडिया नया तमाशा है
गली नुक्कड़ की नौटंकियाँ बंद हुई तो क्या, इससे हमें बड़ी आशा है
सुनो सुनो यहाँ हर रोज़ एक नया तमाशा है

कही बराबरी की है दौड़
तो कही न्याय की है कच्ची डोर
ना जाने कौन यहाँ क्या दिखलाना चाहता है
मानो हर कोई यहाँ अपनी गली का राजा है
सुनो सुनो यहाँ हर रोज़ एक नया तमाशा है

संभल के चलना ए बाबु,
तुम गिरे या ज़ुबान तुम्हारी जो लड़खड़ाई तो वाइरल हो जाओगे
हाथ आएँगे नहीं तुम्हें उठाने,
लोग लगेंगे तुम्हारा विडीओ बनाने,
तुम मुफ़्त में मारे जाओगे
सुनो सुनो यहाँ हर रोज़ एक नया तमाशा है

ख़बर है ओनि पोनी सी उसको खिंचके दस बिलांत बनाएँगे
हमारे मीडिया वाले तो रेत से भी शरबत खोज लाएँगे
उन पर सारे मसाले लगाके अच्छे से सजाएँगे
फिर तुम्हें वही शरबत पिला कर वो अपनी कहानी सुनाएँगे
सुनो सुनो यहाँ हर रोज़ एक नया तमाशा है

देखने में एक रंगीन ख़ूबसूरत सी दुनियाँ है ये सोशल मीडिया
पर तुम जो इसके बहकावे में आओगे तो बाबु, बड़ा पछताओगे
तुम खुदको दूसरे से तुलना करते पाओगे
दूसरे की तर्रकी देख अपने अस्तित्व को झूटलाओगे
लगोगे तुम भी जुड़ने उसी भीड़ में जो अंधे कुँए सी खाई है
अब मान भी लो यह प्रीत अपनी नहीं परायी है
सुनो सुनो यहाँ हर रोज़ एक नया तमाशा है

लाइक, और कॉमेंट में खुदको खोजोगे तो और भी गुमते जाओगे
कपटवेश यह है सारा का सारा एक दिन तुम भी मान जाओगे
इस भीड़ में अपनी जगह बनानी है तो बस ख़ुद पे ध्यान दो
अपना काम करो और बाक़ी सब को जहाँ जाना है जान दो
हर मुद्दे पे बोलने की ज़रूरत नहीं
बिना मालूमात बोलने की तो हिम्मत भी ना करना
क्यूँकि कॉमेंट में आके ऐसे धुन दिए जाओगे
की बाबु फिर तुम यहाँ से सीधा नो-दो-ग्यारह होते पाए जाओगे

सुनो सुनो यहाँ हर रोज़ एक नया तमाशा है
गली नुक्कड़ की नौटंकियाँ बंद हुई तो क्या, इससे हमें बड़ी आशा है
सुनो सुनो यहाँ हर रोज़ एक नया तमाशा है
- प्रियंका©


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