मानो इक उम्र बीती

एक साल बिता 
मानो इक उम्र बीती 

ज़िंदगी आज भी वही थमी है 
जिस मोड़ पर साथ छूटा था
पर हमने चलना चुना 
आगे बढ़ने का एक रास्ता बुना 
पर एक साल बीत गया 

ग़िले शिक़वे नहीं अब कुछ 
अब बस हर रोज़ ज़िंदगी ख़ुद को दोहराती है 
वो पीछे खिंचती है और हम फिर भी आगे चलते है 
तो इस जंग में कभी हम उनसे 
तो कभी वो हमसे जीत जाती है 
पर एक साल बीत गया 

हँसते हुए रोना 
और रोते हुए हँसना सीख़ लिया 
हमने खुदको को उठाकर पिरोना सीख़ लिया
बिखर ना जाए पूरी तरह, यह सोच 
रोज़ थोड़ा थोड़ा ख़ुद को संभाल लेते है 
पर सम्भालते सम्भालते देखो ना एक साल बीत गया
--प्रियंका©

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