जाने देने का सुख

जाने देने में भी एक सुख है

जिसका एहसास बड़े लम्बे समय बाद होता है

हाँ, किसी को जाने देना आसान तो नहीं होता

पर एक वक़्त के बाद दोनो सिरे खींचते खींचते, कसने लग जाते है

वो एक दूसरे की क्षमता पर रह जाता है कि कितना और खींचना है

और, उस खिंचाव की भी अपनी अलग पीड़ा है

अपना अलग दर्द और तकलीफ़ है

जितनी जल्दी ख़ुद को एक सिरे से रिहा करदो

उतना ही खुदको दर्द से बचा लेते हो

फिर आधा बचा कुछ लेकर

आगे भी तो चलना है

जब तक साँसे है

चलना है और हर रोज़ थोड़ा थोड़ा, बस जाने देना है

-प्रियंका

5 thoughts on “जाने देने का सुख

Your comments make my day 💜

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.