दिए सा जलना तुम

इक दिया दहलीज़ पर रखा था मैंने

कि तेज़ हवा का झोंका आया

संग अपने इक पेगाम लाया

पेगाम में इक तूफ़ान का अंदेशा था

उस तूफ़ान के आगे मेरा दिया टिक ना पाया

मैंने फिर अपनी दहलीज़ पर इक दिया लगाया

मेरा आँगन फिर से ठीक उसी तरह जगमगाया

पर ना जाने क्यूँ फिर तूफ़ान आया मानो दूर खड़ा इंतज़ार में ही था

इस बार रोशनी संग मेरा दिया भी रूठ गया

तेज़ हवा के झोंके से गिर कर फूट गया

मैंने उसके टुकड़े समेटे

इक किनारे रख दिए

फिर उसी शाम

इक नया दीपक जलाया

अब पता था तूफ़ान आएगा

फिर संग अपने मेरी आँगन की लो ले जाएगा

पर अब डर ना था

बुझने का

टूटने का

टूट कर बिखरने का

मुझे बस दिए सा जलना था

-प्रियंका 

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