मौन और शोर के बीच की स्थिरता

ऊपर खुला आसमान था और नीचे हरियाली का डेरा था

मन में बेचैनी और हाथ में चाय का प्याला लिए

मैंने एक सपना देखा

खुली आँखो से देखे सपने फिर से जीने की उम्मीद दे जाते हैं

इतनी उथल पुथल और उधेड़बुन के बीच भी अपनी सोच में एक स्थिरता को देखा

कितना कुछ होकर भी नहीं और कितना कुछ ना होकर भी होने की स्थिरता

किसी को बेतहाशा चाह कर उसे हमेशा के लिए खो देने के बाद भीतर की स्थिरता

जैसे मौन और शोर के बीच की स्थिरता

शांत और अशांत संवादों के बीच की स्थिरता

जब लगे अब कुछ बाक़ी नहीं फिर एक सपना देखना, और उसमें एक छोटी सी छुपी उम्मीद की स्थिरता।

-प्रियंका

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