उसके दर पर कविताएँ लौट रहीं थी,
झाँक कर देखा तो अब भी उस में गुज़रे हुए वक़्त कि कुछ सिलवटें बाक़ी ज़रूर थी,
पर उसके ठीक पीछे कही एक नया कोरा पन्ना अंगड़ाई ले रहा था ..
जो कह रहा था कुछ नया ताज़ा लिखो, जो कभी ना लिखा हो वो लिखो,
दिल टूटने का शोक तो हर रोज़ मना लेती हो तुम,
अब ख़ुद से थोड़ा इश्क़ करो,
अब तुम थोड़ा ‘इश्क़’ लिखो
-प्रियंका