“जीवन खेला”

हम अक्सर हार जाने की शिक़ायत करते है और कई बार किसी चीज़ में हिस्सा ही नहीं लेते क्यूकी हम हारने से डरते है हमारे हार जाने में और पहले ही हार मान लेने के बीच का जो फासला है, मैंने ठीक उसी फासले को अपना जीवन मान लिया है जिस दिन मैंने कोशिशे करनी … Continue reading “जीवन खेला”

अजब इक शोर सा बरपा है – Jaun Elia

अजब इक शोर सा बरपा है कहींकोई खामोश हो गया है कहीं...है कुछ ऐसा के जैसे ये सब कुछअब से पहले भी हो चुका है कहीं...जो यहाँ से कहीं न जाता थावो यहाँ से चला गया है कहीं...तुझ को क्या हो गया, के चीजों कोकहीं रखता है, ढूंढता है कहीं...तू मुझे ढूंढ़, मैं तुझे ढुंढूकोई … Continue reading अजब इक शोर सा बरपा है – Jaun Elia

अब डर नहीं लगता

अब मुझे डर नहीं लगता गिर जाने सेअकेले चलने सेथकने सेहारने सेरोने से मैंने ये खेल खेलना नहीं सीखापर हर खेल को नया रूप देना सीख लिया है मुझे शुन्य से अब डर नहीं लगताखुद को बार बार खड़ा करने से डर नहीं लगता वो हद बहुत पीछे छूट गयीजिस हद ने मेरी सीमा तय … Continue reading अब डर नहीं लगता