नीली सियाही

ज़िन्दगी मानों किसी मुफ़लिस की क़बा हो जैसे जिए जा रहे है किसी की मनकही बद्दुआ जैसे इस एक उम्र में न जाने कितनी ज़िंदगानी क़ैद है क्युकी मेरे कदम जब भी थरथराये मेरे वालिदा ने साँसे भरी है मुझमे ये प्रीत कभी परायी हो ही न सकी क्युकी यहाँ अपना न सका मुझे कोई … Continue reading नीली सियाही

मेरी हिंदी सी अंग्रेजी – कविता

मेरी हिंदी सी अंग्रेजी को सरहाने के लिए शुक्रिया मुझे एक लेख़क के से किरदार में अपनाने के लिए शुक्रिया लिखने को तो कई फलसफे लिखे नए -नए शब्दों से मैंने कई मायने भी सीखे.. दिल से ज़्यादा मैंने ज़ेहन की बाते की है ज़ेहन को भी तवज्जु देना जरुरी है दोस्तों.. बातों ही बातों … Continue reading मेरी हिंदी सी अंग्रेजी – कविता