इक दिया दहलीज़ पर रखा था मैंने कि तेज़ हवा का झोंका आया संग अपने इक पेगाम लाया पेगाम में इक तूफ़ान का अंदेशा था उस तूफ़ान के आगे मेरा दिया टिक ना पाया मैंने फिर अपनी दहलीज़ पर इक दिया लगाया मेरा आँगन फिर से ठीक उसी तरह जगमगाया पर ना जाने क्यूँ फिर … Continue reading दिए सा जलना तुम
hindi kavita
जाने देने का सुख
जाने देने में भी एक सुख है जिसका एहसास बड़े लम्बे समय बाद होता है हाँ, किसी को जाने देना आसान तो नहीं होता पर एक वक़्त के बाद दोनो सिरे खींचते खींचते, कसने लग जाते है वो एक दूसरे की क्षमता पर रह जाता है कि कितना और खींचना है और, उस खिंचाव की … Continue reading जाने देने का सुख
अब डर नहीं लगता
अब मुझे डर नहीं लगता गिर जाने सेअकेले चलने सेथकने सेहारने सेरोने से मैंने ये खेल खेलना नहीं सीखापर हर खेल को नया रूप देना सीख लिया है मुझे शुन्य से अब डर नहीं लगताखुद को बार बार खड़ा करने से डर नहीं लगता वो हद बहुत पीछे छूट गयीजिस हद ने मेरी सीमा तय … Continue reading अब डर नहीं लगता