हम अक्सर हार जाने की शिक़ायत करते है और कई बार किसी चीज़ में हिस्सा ही नहीं लेते क्यूकी हम हारने से डरते है हमारे हार जाने में और पहले ही हार मान लेने के बीच का जो फासला है, मैंने ठीक उसी फासले को अपना जीवन मान लिया है जिस दिन मैंने कोशिशे करनी … Continue reading “जीवन खेला”
hindi poem
अब डर नहीं लगता
अब मुझे डर नहीं लगता गिर जाने सेअकेले चलने सेथकने सेहारने सेरोने से मैंने ये खेल खेलना नहीं सीखापर हर खेल को नया रूप देना सीख लिया है मुझे शुन्य से अब डर नहीं लगताखुद को बार बार खड़ा करने से डर नहीं लगता वो हद बहुत पीछे छूट गयीजिस हद ने मेरी सीमा तय … Continue reading अब डर नहीं लगता
My First Poetry Book- Ardhaviram
Hi everyone, How are you all? No matter where I go, what I do, but this blog holds a very very special place for me, so here I am happily sharing my little achievement which I was postponing for a long time. I was away from my blogs for a while as I was busy … Continue reading My First Poetry Book- Ardhaviram
नाराज़ है प्रकृति
सोचा की आज तुझे थोड़ा निहार लू दो पल तेरी खुशबू में खो जाऊ मन किया की आज कुछ देर तेरी छाँव में सो जाऊ तू कुछ नाराज़ सी मालूम होती है मुझे तू बहुत ही व्याकुल सी जान पड़ती है हा तेरी नाराज़गी भी जायज़ है तू मुफ्त में जो मिल जाती है अपने … Continue reading नाराज़ है प्रकृति
आख़िर यह मसला क्या है
हर बात बस यही रुक जाती हैये जद्दोजहद का मसला क्या है क़ुरान-ए-पाक और श्रीमदभगवत गीता में ये चर्चा कहा हैइस मिटटी में सोना पनपता था जो कभीजिस धरोहर की दुहाई ज़माना दिया फिरता है उस गुल-ए-हिंदुस्तान का आखिर ये सियासती मसला क्या है गंगा जमुनी से यह उर्दूगुरबानी की मिठास में रूह सजोती हुईजाप … Continue reading आख़िर यह मसला क्या है