अजब इक शोर सा बरपा है कहींकोई खामोश हो गया है कहीं...है कुछ ऐसा के जैसे ये सब कुछअब से पहले भी हो चुका है कहीं...जो यहाँ से कहीं न जाता थावो यहाँ से चला गया है कहीं...तुझ को क्या हो गया, के चीजों कोकहीं रखता है, ढूंढता है कहीं...तू मुझे ढूंढ़, मैं तुझे ढुंढूकोई … Continue reading अजब इक शोर सा बरपा है – Jaun Elia
hindi poetry
नीली सियाही
ज़िन्दगी मानों किसी मुफ़लिस की क़बा हो जैसे जिए जा रहे है किसी की मनकही बद्दुआ जैसे इस एक उम्र में न जाने कितनी ज़िंदगानी क़ैद है क्युकी मेरे कदम जब भी थरथराये मेरे वालिदा ने साँसे भरी है मुझमे ये प्रीत कभी परायी हो ही न सकी क्युकी यहाँ अपना न सका मुझे कोई … Continue reading नीली सियाही
प्रकृति और जीवन
प्रकृति का अध्ययन, प्रकृति से प्रेम , प्रकृति के करीब रहना यह आपको कभी भी विफल नहीं करेगा. प्रकृति में गहराई से देखो, और फिर आप सब कुछ बेहतर समझ जायेंगें।