गुलाल

आ सखी तुझे रंग लाल लगा दूँ मैं तेरे चेहरे पर थोड़ा गुलाल लगा दूँ तुझे भी कभी भाते होंगे रंग होली के प्रेम से भरे, हँसी ठिठोली के आ तेरी इस सफ़ेद सारी से मैं थोड़ा मलाल मिटा दूँ मैं तेरे चेहरे पर थोड़ा गुलाल लगा दूँ तू सिमट जाती है ख़ुद में ही … Continue reading गुलाल

अजब इक शोर सा बरपा है – Jaun Elia

अजब इक शोर सा बरपा है कहींकोई खामोश हो गया है कहीं...है कुछ ऐसा के जैसे ये सब कुछअब से पहले भी हो चुका है कहीं...जो यहाँ से कहीं न जाता थावो यहाँ से चला गया है कहीं...तुझ को क्या हो गया, के चीजों कोकहीं रखता है, ढूंढता है कहीं...तू मुझे ढूंढ़, मैं तुझे ढुंढूकोई … Continue reading अजब इक शोर सा बरपा है – Jaun Elia

नीली सियाही

ज़िन्दगी मानों किसी मुफ़लिस की क़बा हो जैसे जिए जा रहे है किसी की मनकही बद्दुआ जैसे इस एक उम्र में न जाने कितनी ज़िंदगानी क़ैद है क्युकी मेरे कदम जब भी थरथराये मेरे वालिदा ने साँसे भरी है मुझमे ये प्रीत कभी परायी हो ही न सकी क्युकी यहाँ अपना न सका मुझे कोई … Continue reading नीली सियाही

प्रकृति और जीवन

प्रकृति का अध्ययन, प्रकृति से प्रेम , प्रकृति के करीब रहना यह आपको कभी भी विफल नहीं करेगा. प्रकृति में गहराई से देखो, और फिर आप सब कुछ बेहतर समझ जायेंगें।