ज़िन्दगी मानों किसी मुफ़लिस की क़बा हो जैसे जिए जा रहे है किसी की मनकही बद्दुआ जैसे इस एक उम्र में न जाने कितनी ज़िंदगानी क़ैद है क्युकी मेरे कदम जब भी थरथराये मेरे वालिदा ने साँसे भरी है मुझमे ये प्रीत कभी परायी हो ही न सकी क्युकी यहाँ अपना न सका मुझे कोई … Continue reading नीली सियाही
poem
बोल के लब आज़ाद हैं तेरे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की इंक़लाबी नज़्म 'बोल के लब आज़ाद हैं तेरे' से प्रेरित होकर मैंने कुछ लिखा हैं.. बोल के लब आज़ाद हैं तेरे, कहते है फैज़.. बोल के ज़िन्दगी बाकि हैं अभी बोल की साँसों में सिरकते हैं तराने कई बोल के ये ज़िन्दगी तेरी हैं बोल के तेरा दर्द बस तुझसे होकर गुज़रा … Continue reading बोल के लब आज़ाद हैं तेरे
मेरी हिंदी सी अंग्रेजी – कविता
मेरी हिंदी सी अंग्रेजी को सरहाने के लिए शुक्रिया मुझे एक लेख़क के से किरदार में अपनाने के लिए शुक्रिया लिखने को तो कई फलसफे लिखे नए -नए शब्दों से मैंने कई मायने भी सीखे.. दिल से ज़्यादा मैंने ज़ेहन की बाते की है ज़ेहन को भी तवज्जु देना जरुरी है दोस्तों.. बातों ही बातों … Continue reading मेरी हिंदी सी अंग्रेजी – कविता
प्रकृति और जीवन
प्रकृति का अध्ययन, प्रकृति से प्रेम , प्रकृति के करीब रहना यह आपको कभी भी विफल नहीं करेगा. प्रकृति में गहराई से देखो, और फिर आप सब कुछ बेहतर समझ जायेंगें।
कुछ पुराने पन्ने -कविताएं और दोहे
कुछ कविताएं और कुछ पुराणी कहावते खुद बा खुद संगीत की मधुर ध्वनि की तरह ज़ेहन में गुनगुनाने लगती है.जिनसे हमे ज़िन्दगी जीने का हौसला मिलता है