हर बात बस यही रुक जाती है
ये जद्दोजहद का मसला क्या है
क़ुरान-ए-पाक और श्रीमदभगवत गीता में ये चर्चा कहा है
इस मिटटी में सोना पनपता था जो कभी
जिस धरोहर की दुहाई ज़माना दिया फिरता है
उस गुल-ए-हिंदुस्तान का आखिर ये सियासती मसला क्या है
गंगा जमुनी से यह उर्दू
गुरबानी की मिठास में रूह सजोती हुई
जाप और मंत्रो की माला पिरोती हुई
इस हिंदुस्तान की ज़मी पर ये तस्कीन-ए-अना का मसला क्या है
भाई भाई सा रिश्ता न सही इंसानियत ही बरक़रार रख ले हम
की आने वाली पीडियो को इंसानियत पे थोड़ा यकीं तो रह जाए
यही सीख पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे हाथो बहती जाए
तो क्या पता एक दिन ये तख़्त-ओ-ताज का किस्सा ही ख़तम हो जाए
–प्रियंका©
Beautifully penned, bahut khub
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Bilkul Sahi kaha dii aapne…nice👌🏼👌🏼 ❤
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बिल्कुल सही कहा आपने प्रियंका जी
बहुत सुंदर रचना
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Thank you 🙂
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Amazing and thought provoking. Your poems are always wonderful and this one is just too good. Keep the fabulous work going.
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Thank you Manas 🙂
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Very fined and meaningful thoughts.
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Thank you Vibhu 🙂
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