आ सखी तुझे रंग लाल लगा दूँ मैं तेरे चेहरे पर थोड़ा गुलाल लगा दूँ तुझे भी कभी भाते होंगे रंग होली के प्रेम से भरे, हँसी ठिठोली के आ तेरी इस सफ़ेद सारी से मैं थोड़ा मलाल मिटा दूँ मैं तेरे चेहरे पर थोड़ा गुलाल लगा दूँ तू सिमट जाती है ख़ुद में ही जब कोई तेरी तरफ़ रंग लिए आता है तू सहम जाती है क्यूँकि तू डर जाती है यह सोच, की क्या कहेंगे यह लोग, तुझे कहा बेर रंगो से था तूने तो हर रंग को गले लगाया था एक रंग रूठा तो क्या हुआ सखी दूजे ने अपनाया भी था आ सखी तुझे रंग लाल लगा दूँ मैं तेरे चेहरे पर थोड़ा गुलाल लगा दूँ -प्रियंका
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