क्या है मानसिक स्वास्थ्य और क्यों जरुरी है कि हम मानसिक स्वास्थ्य के बारें में बात करें और अपना ख्याल रखें ?
आपको पता है तनाव सबसे प्रमुख कारण है किसी भी व्यक्ति के जीवन को नीरस बनाने के लिए? काफी बार हमे महसूस भी नहीं होता कि हम तनाव में है और हम बस चीड़ चीड़ करते है , बेवजह गुस्सा करते है , सबसे खफा हो जाते हो और कुछ करने की इच्छा नहीं होती ।
इन्हे आप आगे आने वाली समस्या के सिम्पटम्स भी कह सकते हो, हम ध्यान नहीं देते कुछ उपाय नहीं करते, किसी से अगर खुल कर बात नहीं करते तो ये तनाव अंदर ही अंदर हमे घोलने लगता है , तो आइये पहले ये समझते हो की हम क्यों किसी से अपनी स्तिथि को साँझा नहीं करते और फिर देखेंगे की हम कैसे रख सकते है अपने मासिक स्वास्थ्य का ख्याल।
क्यों मुश्किल है मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा ?
1.) आमतौर पर अगर हम किसी से बात करने की कोशिश करें तो अक्सर यह होता है की जैसे ही हम अपनी बात रखना शुरू करते है सामने वाला या तो उससे जुड़ नहीं पता या फिर वो हमारी बात को ख़ारिज करके अपनी ही सुनाने लगता है, हमारे घाव हरे के हरे ही रह जाते है और फिर मन नहीं करता की हम आगे कुछ कहे तो बस सुनने ही बेठ जाते हैं ।
2.) ज्यादातर यह देखा गया है की अगर कोई किसी प्रकार के मानसिक तनाव से गुज़र रहा होता है तो घर वाले और आस पास के लोग उसे पागल, साइको जैसे शब्दों से बुलाने लगते है और कौन ये सब सुन्ना चाहेगा , बल्कि इस तरह से आप बात चीत का दरवाज़ा ही बंद कर देते है ।
3.) हमारे समाज में मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूकता की बहुत कमी है या यह कहे कि न के बराबर जानकारी है , हम जैसे लोग जो दिन रात इस बारें में लिखते और बोलते है उनका तक मज़ाक उड़ाया जाता है , तो फिर कैसे पता चलेगा की ये है क्या और कैसे इससे डील किया जाये ?
अब बात करते है की कैसे हम खुद अपना थोड़ा ख्याल रख सकते है
1.) सबसे पहले यह जरुरी है की आप अपनी सीमाएं तय करें, कौन आप तक किस हद तक पहुंच सकता है, आपकी ज़िन्दगी में कितना दखल दे सकता है, यह आपको तय करना है। हम लोगो का मुँह तो बंद नहीं कर सकते पर उनकी गलत बात हम सुने ये जरुरी नहीं, जो बात हमे परेशान करती है और हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर उसका असर होता है उनसे दुरी बनाये ।
2.) दूसरी बात, जहाँ मन न लगे वहाँ से निकल जाने में की बुराई नहीं है, काफी बार हम बस लोगो को खुश करने के लिए कही उपस्थित होते है जबकि मन में हमे अच्छा नहीं लग रहा होता है, भीड़ में होहकार भी अकेला महसूस हो रहा होता है, तब थोड़ा ब्रेक ले लेना ठीक रहता है, चीज़ो को समझने के लिए ।
3.) किसी से बात करें, अपनी परेशानी शेयर करें और बताये की आप कैसा महसूस कर रहे है , जब तक किसी को पता नहीं होगा तबत क आपको मदद नहीं मिलेगी ।
4.) डॉक्टर की सलाह लेने में शर्म न करें, अगर बात ज्यादा बिगड़ी सी लगती है तो किसी मानसिक चिकित्सक से परामर्श करें, और उन्हें खुलके अपनी भावनाये बताये, आपको मदद जरूर मिलेगी ।
एक बात का ध्यान जरूर रखिये की यहाँ सिर्फ आप अपनी मदद कर सकते है क्यूँकि यह भीतर की कश्मकश है जो बहार नहीं दिखाई देगी, दिखाई देगी भी तो उम्मीद कम है की कोई समझ पाएगा, तो अपना हीरो खुद बनिए और अपनी जिम्मेदारी लीजिये ।
अपना और अपने आस पास के लोगो का ख्याल रखें, कोई सवाल या सुझाव हो तो निचे कमेंट बॉक्स में लिखे।
प्रियंका